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Hindi Bewafa Shayari दर्दभरी नज़्म

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कहीं भी यूज़ कर सकते हैं।

रील/वीडियो के लिए एक बेहिसाब दर्दभरी नज़्म 

एक चोट ऐसी लगी दिल पर,
मानो किसी ने मौत की सज़ा सुना दी हो।
लोगों को मेरी दास्तान एक फ़िल्मी कहानी लगती है…
पर अंदर का ज़ख्म आज भी ताज़ा है,
और रहेगा—हमेशा।

ऐसा कोई दिन, कोई पल, कोई रात नहीं गुजरती,
जिसमें तेरी याद मेरी सांसों को जकड़ न लेती हो।
जैसे मेरे और हवाओं के बीच
कोई दुश्मनी सी हो गई हो।

सोच-सोचकर कि कोई और तुझे छुएगा…
मैं हर पल थोड़ा-थोड़ा मर जाता हूं।
रात भर नज़्में लिखता हूं,
और वही नज़्में मुझे सांत्वना बनकर
रात भर पढ़ती रहती हैं।

अगर कभी मौका मिले,
तो मेरे इश्क़ का थोड़ा-सा हिस्सा
अपने बेटे को दान देना—
क्योंकि ये प्यार सिर्फ दिया जा सकता है,
लौटाया नहीं जाता।

मोहब्बत का भी एक बाज़ार लगा था,
सौदेबाजी बहुत जोर से हुई—
किसी को अच्छा खरीदार मिल गया,
और मेरी यारी… चोरों से हो गई।

किस्मत ने कुछ ऐसा पलटा,
कि लकीरें हाथ से फिसलती चली गईं,
वक्त बदला… और वो भी।
जिस मोहब्बत में गुस्सा भी शह बनकर चलता था,
वही मोहब्बत मेरी आंखों के सामने
धुएं की तरह उड़ गई।

कभी कहती थी—
“किसी और से शादी कर ही नहीं सकती।”
कितना झूठ था सब…
उसकी दी हुई निशानियां आज भी हैं,
पर वो खुद—कहीं खो गई।

अगर ऐसा कोई हकीम हो
जो इस दिल का इलाज लिख सके,
तो जरूर बताना—
क्योंकि मैंने हर दर्द को आज़माया है।

काश किसी मोड़ पर टकरा भी गए हम,
तो हम ना तुझे देखेंगे,
ना अपना चेहरा दिखाएंगे।
किसी अनजान मुसाफ़िर की तरह
तुम भी गुजर जाना…
हम भी गुजर जाएंगे।

लोग कहते हैं—
“वफ़ा समझ नहीं आती।”
सच कहूं तो, मोहतरमा…
वफ़ा की बातें कभी समझ नहीं आईं,
लेकिन उंगलियां उठाने में
ये दुनिया एक पल भी नहीं लगाती।

आधी रात की वो यादें…
वो झूठी हंसी, वो गीली आंखें—
अगर तुम वक्त पर सब समझ लेतीं,
तो शायद आज इतनी बेबसी ना होती।

मेरा एक फैसला तुम निभा देती,
तो शायद मेरा दूसरा फैसला
खुदकुशी ना होता।

कभी सोचा था—
तेरे ख्वाबों को सिरहाने पर लिखूंगा,
तेरी बातों को दुआ की तरह सजाऊंगा।
पर अब इतना पता है—
जो टूट जाए वक्त के साथ,
वो ख्वाब होना नहीं चाहिए।

लोग कहते हैं—
कोई आपकी जिंदगी में आकर
दफा नहीं हो सकता।
पर मोहब्बत में कोई
इतना भी बेदर्द नहीं हो सकता?

तुम पूछोगी एक दिन…
इन नज़्मों में इतना दर्द कहां से आया?
पर जवाब तुम्हें नहीं मिलेगा,
क्योंकि तुम्हें सुनने की आदत नहीं।

जब कोई और मेरे करीब होगा, बहुत पास…
तब तुम समझोगी ये तड़प क्या होती है।
तब आंखों के आंसू भी छुपाए नहीं जाएंगे—
और लोग हंसेंगे भी।

कोई पूछेगा तो क्या बताओगी?
की तुमने क्या खोया?
कैसे बताओगी कि तुमने
अपने हाथों से अपने इश्क़ को दफना दिया?

और हां…
लोग मुझसे पूछते हैं—
मेरी सबसे बड़ी ताकत क्या है?
मैं बस मुस्कुराकर कहता हूं—
“तुम्हारा होना।”

लेकिन अब…
दुआ बस इतनी है—
तुम्हें भी वही दर्द मिले,
जो मेरी नज़्में चुपचाप ढोती रहीं।

क्योंकि याद रखना—
तुम्हारी याद ने ही
मेरी हर नज़्म को निखारा है,
और तुम्हारी खामोशी ने
मेरी रूह को रुलाया है।